
अधरशिला में दिखा गुरु पूर्णिमा पर गुरु शिष्य परंपरा के निर्वहन में आस्था, उत्सव और विश्वास का अद्भुत नजारा
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पंकज पोरवाल |
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भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) गुरु पूर्णिमा आध्यात्मिक आस्था,गुरु के प्रति विश्वास और शिष्यों के उत्साह को अभिव्यक्त करने वाला भारतीय संस्कृति का पावन पर्व है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन गुरु के प्रति आस्था और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए शिष्यों द्वारा यह अवसर त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। गुरु शिष्य परंपरा के गूढ़ आध्यात्मिक पक्ष को उजागर करने वाली यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है। इस अवसर पर पूर कस्बे में स्थित अधरशिला महादेव मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस परिसर में विराजित दुःखभंजन हनुमान जी महाराज के मंदिर में गुरुजी दुःखभंजन के सान्निध्य में शिष्यों ने हर्षाेल्लास के साथ धूमधाम से गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया। गुरुजी दुरूख भंजन ने अपने शिष्यों संग आधारशिला महादेव का रुद्राभिषेक किया। तत्पश्चात देश के कई राज्यों से पधारे श्रद्धालुओं ने गुरुजी सहित दुरूख भंजन हनुमान जी का गंगाजल, दुग्ध, दही, घी, गन्ने के रस,घृत आदि द्रव्यों से अभिषेक किया। फिर श्रृंगार और भजन का भी आयोजन किया गया। इस समारोह का मुख्य आकर्षण शिष्यों द्वारा गुरु-पाद पूजन किया जाना रहा। इस अवसर पर कई शिष्य भावुक भी हो गए। इस अवसर पर गुरुजी दुरूख भंजन ने कहा कि भावनाओं पर नियंत्रण रखना और संयम बनाए रखना साधना के लिए अति आवश्यक है। गुरु केवल शरीर नहीं बल्कि गुरु तत्व है। गुरुओं को चाहिए कि वह हमेशा सत्य बोले झूठ का साथ ना दे एवं हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते रहे सभी शिष्यों को सत्य का मार्ग बताना चाहिए एवं अपने शिष्यों का कल्याण करना चाहिए।
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